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हिंदी में आर्टिकल हिंदी दिवस भारत एक सांस्कृतिक देश

 •हिंदी दिवस :-

• हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है ।

इस दिन भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदू भाषा को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा घोषित किया था।

• यह हर साल हिंदी के महत्व पर जोर देने और हर पीढ़ी के बीच इसको बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है जो प्रभावित है। • स्कूलों और कॉलेजोंUNT

हिंदी वाद-विवाद, कविता या बोलने प्रतियोगिताएं आयोजित कर

हिंदी दिवस हमारे सांस्कृतिक जड़ों को फिर से देखने और अपनी समृद्धता का जश्न मनाने का दिन है।

• इस दिवस पर विभागों, मंत्रालयों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और सार्वजनिक उपक्रमों को राजभाषा पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।

• हिंदी हमारी मातृभाषा है और हमें इसका आदर और उसका मूल्य समझना चाहिए ।


•भारत एक सांस्कृतिक देश :-

• भौगोलिक रुप से भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है।

• भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो जनसंख्या के लिहाज से दूसरे स्थान पर है।

• भारत में मुख्य रूप से हिंदी भाषा बोली जाती है परंतु यहां लगभग 22 भाषाओं को राष्ट्रीय रुप से मान्यता दी गयी है।

• भारत के लोग स्वभाव से बहुत ही और भरोसेमंद होते हैं।

• विभिन्न संस्कृति और परंपरा के लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ रहते हैं।

• यहां बहुत से सुंदर प्राकृतिक दृश्य, स्थल, से स्मारक, ऐतिहासिक धरोहर आदि है जो विश्व भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

• भारत अपने आध्यात्मिक कार्यों, योगा, मार्शल आर्ट आदि के लिये बहुत प्रसिद्ध है ।

• यहाँ के प्रसिद्ध मंदिरों, स्थलों और ऐतिहासिक धरोहरों की सुंदरता को देखने आती हैं।

• ये एक समृद्ध देश है जहाँ साहित्य, कला और विज्ञान के क्षेत्र में महान लोगों ने जन्म लिया हैं।

• भारत का राष्ट्र गान 'जन गण मन', राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' और राष्ट्रीय खेल हॉकी है।


•डिजिटल इंडिया पर निबंध :-

• डिजिटल भारत प्रोग्राम भारत को समृध्द करने की दिशा में भारत सरकार की नई पहल है ।

• 1 जुलाई 2015 को डिजिटल इंडिया अभियान शुरू किया गया।

• इसका प्रमुख उद्देश्य देश को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नये कीर्तिमान गढ़ना है ।

इसके द्वारा देश को डिजिटली रुप से लक्ष्य है । सशक्त करना एकVA.COM है।

इसका समाज की प्रगति और व्यक्तिगत जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

डिजिटलीकरण के कारण अब घर बैठे हम रेल, वायुयान, बस के टिकट्स बुक कर सकते हैं।

• ई-कामर्स मंचों ने बहुतों को रोजगार का साधन दिया है।

डिजिटल इंडिया का उद्देश्य देश को डिजिटल - सक्षम समाज में परिवर्तित करना है 


•जीने की राह:-

संत एकनाथ के पास एक आदमी गया और पूछा महाराज दुनिया में किस तरह से रहना चाहिए? संत ने कहा-जरा सामने आ पहले तेरा माथा देखूं कि तेरा जीवन बाकी भी है कि नहीं। वो आदमी सामने आया और माथा दिखाया। संत ने कहा तेरी तो सात | दिनों में मौत है, अब तू कहे तो बताऊं ? आदमी बोला फिर रहने दो। वो भागता हुआ गया। सबसे पहले उसने उन लोगों से माफी मांगी जिनको उसने भला बुरा कहा था। फिर जिन लोगों से झगड़ा किया था, बेईमानी करी थी उनसे भी जाकर माफी मांगी। घर जाकर | बच्चों को बच्चों का हक दे दिया, पत्नी को पत्नी का। पत्नी से बोला | मेरी यात्रा का मोड़ मुड़ रहा है, मैं भगवान का सहारा ले रहा हूं हो सकें तो तू भी भगवान का सहारा लें। इस तरह से छः दिन बीत तू गए। सातवें दिन वो भगवान के ध्यान में बैठा, मन बड़ा हल्का था। फिर उसे ध्यान आया कि एक बार संत से चलकर पूछ लें कि कैसे जीना है, अगले जन्म में फिर वैसे जी लेंगे। गया संत के पास, पूछा-महाराज किस तरह से दुनिया में जीना चाहिए? संत ने कहा कि पहले ये बता कि ये सात दिन कैसे बीते ? कितने लड़ाई-झगड़े किए? किस-किस से बेईमानी की? ये आदमी बोला महाराज कोई नए लड़ाई-झगड़े नहीं किए। बल्कि जो पुराने थे उनसे भी जाकर माफी मांग आया हूं और उन्होंने ने भी माफ कर दिया है। संत ने फिर पूछा-अच्छा! इन सात दिनों में भगवान को याद किया कि नहीं? ये बोला महाराज भगवान ही याद रहा, क्योंकि मौत सामने थी। संत ने कहा तो फिर जा बाकी की जिंदगी भी ऐसे ही बीता। ये बोला- पर आपने तो हमारा माथा देखा था. सातवें दिन मौत बताई थी। संत ने कहा मौत तो इन सात दिनों में ही है- सोमवार, नहीं तो मंगल, नहीं तो रविवार। ये ही सात दिन हैं इनमें ही आदमी जन्म लेता है और इनी सात दिनों में मरता है तुझे जरा घुमा के समझाया है, वरना आदमी समझता कहां है। 


•मेरी मां :-

मेरी मां बहुत प्यारी हैं। वे रोज सुबह घर में सबसे पहले उठ जाती हैं। भगवान से लेकर घर के सब लोगों का ध्यान मेरी मां ही रखती हैं। वे दादा-दादी का पूरा ध्यान रखती हैं। पापा, मेरी और मेरी छोटी बहन की हर एक छोटी बड़ी बातों की परवाह भी मेरी मां करती हैं। दादी कहती हैं कि मेरी मां घर की लक्ष्मी हैं। मैं भी मां को भगवान के समान मानता हूं और उनकी हर बात मानता हूं।

मेरी मां जॉब भी करती हैं। घर और ऑफिस दोनों की जिम्मेदारी बहुत ही अच्छे से निभाती हैं। उनके सरल और सुलझे व्यवहार की वे तारीफ उनके ऑफिस के सारे लोग करते हैं। मेरी मां गरीबों और बीमारों की भी हर संभव मदद करती हैं। मेरी मां मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं। मैं जब कोई गलती करता हूं तब मां मुझे डांटती नहीं हैं बल्कि प्यार से मुझे समझाती हैं। जब मैं दुखी होता हूं तब मेरी मां ही मेरे मुरझाए चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर आती हैं। उनके प्यार और ममतामयी स्पर्श को पाकर मैं अपने सारे दुख भूल जाता हूं।

मेरी मां ममता की देवी समान हैं। वे मुझे और मेरी बहन को हमेशा अच्छी-अच्छी बातें बताती हैं। मेरी मां मेरी आदर्श हैं। वे मुझे सच के रास्ते पर चलने की सीख देती हैं। समय का महत्व बताती हैं। कहते हैं कि मां ईश्वर के द्वारा हमें दिया गया एक वरदान है। जिसकी आंचल की छांव में हम अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं और अपने सारे गम भूल जाते हैं। मैं अपनी मां से बहुत प्यार करता हूं और भगवान को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे दुनिया की सबसे अच्छी मां दी।


•दूरदर्शन :-

दूरदर्शन आधुनिक युग का महत्त्वपूर्ण आविष्कार है। यह एक ऐसा यन्त्र है जिसकी सहायता से व्यक्ति दूर की वस्तु एवं व्यक्ति को देख और सुन सकता है। इस यन्त्र की सहायता से कानों तथा आँखों दोनों की तृप्ति होती है। दूरदर्शन का आविष्कार सन् 1926 ई. में इंग्लैंड के जॉन एल. बेयर्ड ने किया था। दूरदर्शन मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा देने, जानकारी बढ़ाने, प्रसार और प्रचार का भी महत्त्वपूर्ण तथा सशक्त साधन है।

आरम्भ में दूरदर्शन काफी महँगा पड़ता था, इसीलिए यह प्रत्येक व्यक्ति को तो क्या प्रत्येक देश तक में सुलभ नहीं था। धीरे-धीरे इसका प्रचलन और प्रसारण इस सीमा तक बढ़ा कि आज यह सर्वत्र देखा और सुना जा सकता है। अब यह राजभवन से लेकर झोपड़ी तक में पहुँच चुका है। पहले यह श्वेत-श्याम स्वरूप में ही प्राप्त था परन्तु अब तो रंगीन दूरदर्शन, सारे विश्व में उपलब्ध है। इसके द्वारा हम देश-विदेश में होने वाले खेलों को घर बैठकर देख सकते हैं और उनका भरपूर आनन्द उठा सकते हैं। इसके अतिरिक्त देश-विदेश में घटित घटनाओं को हम सीधे अपनी आँखों से देख सकते हैं। आजकल इसके माध्यम से कक्षा में पाठ भी पढ़ाया जाता है जिसे बच्चे भली प्रकार समझ लेते हैं।

आजकल दूरदर्शन को भू-उपग्रह से जोड़ दिया गया है ताकि ग्रामवासी भी इसका भरपूर लाभ उठा सकें। आज के व्यस्त जीवन में यह मनोविनोद का बढ़िया और सस्ता साधन है। इसके द्वारा नाटक, हास्य-व्यंग्य, संगीत, कवि सम्मेलन, चलचित्र तथा अनेक प्रकार के सीरियल देखकर हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं। इसके माध्यम से कृषि सम्बन्धी कार्यक्रम दिखा कर कृषि कार्यों की अधिकाधिक जानकारी दी जा रही है। इस तरह यह कृषि के विकास में किसानों की सहायता कर रहा है। विज्ञापनों को देकर व्यापारी वर्ग व विभिन्न वस्तुओं के निर्माता अपनी सहायता कर रहा है। सुदूर ग्रहों की जानकारी इसके कैमरे सरलता से प्राप्त कर लेते हैं। विज्ञान के नित्य नए-नए आविष्कारों ने इसे अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया है। केबल टी. वी., स्टार टी.वी. वी.सी.आर., कम्प्यूटर खेल " आदि ने इसे नया रूप दे दिया है।

दूरदर्शन में कुछ कमियाँ भी दृष्टिगत होती हैं। इसके प्रकाश से तथा इसे अनवरत देखने से आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, यहाँ तक कि आँखें खराब भी हो जाती हैं। इसके द्वारा कुछ ऐसे कार्यक्रम देखने को मिलते हैं जिनका बच्चों के मानस पटल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित (कुंठित) होती है।

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